Bihar Politics: आरक्षण पर कोर्ट के आदेश के बाद मांझी ने CM नीतीश से कर दिया ये अनुरोध, सहनी का भी आया रिएक्शन
पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने 65 प्रतिशत आरक्षण कानून को रद्द कर दिया है। इसको लेकर बिहार में सियासी जंग छिड़ गई है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने इस मामले को नीतीश सरकार से एक आग्रह कर दिया है। इसके अलावा मुकेश साहनी ने कानून को रद्द किए जाने के पीछे भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने हाई कोर्ट के द्वारा आरक्षण की बढ़ाई गई सीमा को रद्द करने के फैसले के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर करने का आग्रह राज्य सरकार से किया है।
मांझी ने एक्स पर पोस्ट किया- मैं उच्च न्यायालय के आदेश पर तो टिप्पणी नहीं सकता, पर एक बात स्पष्ट है कि आरक्षण वंचितों का अधिकार है, जिसके सहारे वह अपने सपनों को पूरा करने की सोचते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं बिहार सरकार से आग्रह करता हूं कि उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करें जिससे आरक्षण को बचाया जा सके।
भाजपा आरक्षण को रोकने के लिए कुछ भी कर सकती है : सहनी
पटना हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने का फैसला निरस्त होने पर विकासशील इंसान पार्टी ने आक्रोश व्यक्त किया है। पार्टी के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने कहा कि भाजपा आरक्षण रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
सहनी ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने का निर्णय पटना हाईकोर्ट ने रद्द किया है। सरकार के कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाना चाहिए। सहनी ने कहा कि भाजपा सत्ता आने के साथ ही अपनी तिकड़म शुरू कर देती है। ऐसा होगा, यह संदेह पहले से ही था।
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी : विजय चौधरी
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने जो आरक्षण की सीमा बढ़ाई थी उसे पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
जदयू के वरिष्ठ नेता व जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस संबंध में कहा कि सभी तरह के कानूनी विकल्प पर हम विचार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट तो जाएंगे ही।चौधरी ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने का फैसला सरकार ने गरीबों के हित को ध्यान में रखकर किया था। हम चाहते हैं कि यह निर्णय बरकरार रहे।उन्होंने कहा कि यह फैसला सोच-समझकर लिया गया था। जो पिछड़े हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाया जाना केंद्र में था। कई अन्य प्रदेशों में भी इस तरह के आरक्षण की व्यवस्था है। बिहार में भी इसे लागू रहना चाहिए।
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